राजस्थान की जलवायु
राजस्थान की जलवायु
राजस्थान की जलवायु शुष्क मरुस्थलीय जलवायु है।
ग्रीष्म ऋतु(मार्च-जून)-ग्रीष्मऋतु मे सर्वाधिक गर्म महीना जून होता है।
ग्रीष्मऋतु मे सर्वाधिक तापमान वाला जिला चुरु है।
ग्रीष्मऋतु मे सर्वाधिक तापमान वाला स्थान फलौदी (जोधपूर)
ग्रीष्मऋतु मे सबसे कम तापमान वाला स्थान माउण्टआबू(सिरोही)क्योकि माउण्ट आबू राजस्थान मे समुद्र तल से सर्वाधिक ऊंचाई वाला स्थान है।
नोट- समुद्र तल से 165मी.उपर जाने के बाद तापमान मे 1° से. की कमी होती है।
ग्रीष्म ऋतु मे सर्वाधिक शुष्क महीना अप्रैल है।
ग्रीष्म ऋतु मे सर्वाधिक शुष्क जिला बीकानेर और सर्वाधिक शुष्क स्थान फलौदी है।
ग्रीष्म ऋतु मे पष्चिमी रेतीले मैदान मे तापमान अत्याधिक उच्च होने के कारण न्यूनवायु दाब क्षेत्र बन जाता है। इसीलिए ग्रीष्म ऋतु मे पष्चिमी रेतीले मैदान मे सर्वाधिक आधियाँ चलती है।
राजस्थान के सर्वाधिक आँधियांे वाला जिला औसत 27 दिन गगंानगर, बीकानेर औसत 18 दिन, जैसलमेर औसत 15 दिन।
राजस्थान मे सबसे कम आँधियो वाला जिला झालावाड औसत 3 दिन है।
वर्षाऋतु(जुन-सितम्बर)
राजस्थान मे मानसून से पर्व होने वाली वर्षा को दोंगडा कहते है।
यह एक सवंहनी वर्षा का रूप कहलाती है।
राजस्थान मे मानसून का आगमन जून माह के मध्य मे होता है।
मानसून शब्द की उत्पति अरबी भाषा के मौसिम शब्द से हुई है।
भारत मे सर्वाधिक वर्षा दक्षिणी - पष्चिम मानसून पवनो से होती है।
राजस्थान मे दक्षिणी - पष्चिम मानसून की दो शाखाऐ प्रवेष करती है।
कच्छ की खाडी से आने वाली मानसून की शाखा-राजस्थान मे सर्वप्रथम कच्छ की खाडी से आने वाली मानसून की शाखा प्रवेष करती है परन्तु ये पवने राजस्थान मे वर्षा कराने मे सहायक नही है क्योकि ये पवने राजस्थान मे अरावली पर्वतमाला के समान्तर सीधी निकल जाती है ये पवने हिमाचल प्रदेष मे धर्मषाला नामक स्थान पर हिमालय पर्वत से ठकराकर वर्षा करती है जब ये पवने हिमालय से ठकराकर पुनः राजस्थान मे प्रवेष करती है तो तब इन पवनो से उतर - पष्चिम राजस्थान मे वर्षा प्राप्त होती है।
बगंाल की खाडी से आने वाली मानसून की शाखा-
राजस्थान मे सर्वाधिक वर्षा बगंाल की खाडी से आने वाली मानसून की शाखा से होती है।
राजस्थान मे बगंाल की खाडी से आने वाली मानसूनी शाखा दक्षिणी - पूर्वी दिषा से प्रवेष करती है इसलिए इन पवनो को पूर्वाई कहते है।
राजस्थान मे इन पवनो के द्वारा राज्य के दक्षिण-पूर्व जिलो मे सर्वाधिक वर्षा होती है परन्तु उतर-पष्चिम की ओर बढने इन पवनो मे आर्द्रता कम हो जाने के कारण इन पवनो द्वारा वर्षा की मात्रा कम हो जाती है।
राजस्थान मे सर्वाधिक वर्षा वाला जिला झालावाड औसत 40 दिन, बांसवाडा औसत 38 दिन।
राजस्थान मे सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान माउण्ट आबू ,सिरोही औसत 48 दिन।
राजस्थान मे सबसे कम वर्षा वाला जिला जैसलमेर औसत 5 दिन
राजस्थान मे सबसे कम वर्षा वाला स्थान सम गांव ,जैसलमेर।
राजस्थान मे सर्वाधिक वर्षा वाला महीना अगस्त।
राजस्थान मे सर्वाधिक आर्द्रतम वाला जिला झालावाड।
राजस्थान मे सर्वाधिक आर्द्रतम वाला स्थान माउण्ट आबू ,सिराही।
राजस्थान मे सर्वाधिक आर्द्रतम वाला महीना अगस्त ।
राजस्थान मे औसत वार्षिक वर्षा 58 से.मी. होती है।
राजस्थान मे वर्षा के आधार पर निम्न 5 जलवायु प्रदेष पाये जाते है-
अतिआर्द्र जलवायु प्रदेष-औसत वार्षिक वर्षा 80-120 से.मी
आर्द्र जलवायु प्रदेष-औसत वार्षिक वर्षा 60-80से.मी.
उपआर्द्र जलवायु प्रदेष-औसत वार्षिक वर्षा 40-60 से.मी.
अर्द्धषुष्क जलवायु प्रदेष-औसत वार्षिक वर्षा 20-40 से.मी.
शुष्क जलवायु प्रदेष-औसत वार्षिक वर्षा 0-20 से.मी.
राजस्थान मे 50से.मी.(500मि.ली.) वर्षा रेखा को सम वर्षा रेखा कहते है।
राजस्थान के दक्षिण-पश्चिम भागो मे बगंाल की खाडी और अरब सागर दोनो से वर्षा प्राप्त होती है।
राजस्थान के जैसलमेर और बाडमेर जिलो मे सर्वाधिक वर्षा की विषमता पाई जाती है।
राजस्थान मे सर्वाधिक वज्र तुफान जयपुर और झालावड जिलो मे आते है।
अक्टूबर-नवम्बर माह मे मानसूनी पवने पुनः लौटना प्रारम्भ करती है इसीलिए इसे मानसून प्रत्यवर्तिन काल कहते है।
शीतऋतु (दिसम्बर-फरवरी):-
राजस्थान मे सबसे कम तापमान वाला महीना जनवरी होता है।
राजस्थान मे शीत ऋतु मे सबसे कम तापमान वाला जिला चुरु है।
शीत ऋतु मे सबसे कम तापमान वाला स्थान माउण्ट आबू होता है क्योकि माउण्ट आबू राजस्थान मे समुद्र तल से सर्वाधिक ऊँचाई पर स्थित है।
शीतकाल मे होने वाली वर्षा को मावठ कहते है।
मावठ भूमध्य सागरीय चक्रवातो से अथवा पष्चिमी विक्षोभ से होती है।
भारत मे सर्वप्रथम पष्चिमी विक्षोभ उतर-पष्चिम दिषा से पजांब राज्य मे प्रवेष करते है तथा राजस्थान मे सर्वप्रथम मावठ से वर्षा गंगानगर जिले मे होती है।
राजस्थान मे होने वाली कुल वर्षा का 90प्रति. मानसून काल मे और 10प्रति. वर्षा मावठ से होती है।